logo

अमृत काल के अंत तक बागवानी फसलों का उत्पादन 600 मिलियन टन करना - डॉ बी एस तोमर

जोबनेर,श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय में बागवानी फसलों में गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और बीज उत्पादन विषय पर एक सप्ताह की ट्रेनिंग का शुभारंभ किया गया, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह रहे, डॉ बलराज सिंह ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि उच्च गुणवत्ता युक्त रोपण सामग्री द्वारा उत्पादन में 20 से 30% वृद्धि होती है, डॉ बलराज सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में बागवानी फसलों की स्तिथि काफी मजबूत है l उन्होने बताया कि सरकार की क्लीन प्लांट स्कीम स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगी व साबी के द्वारा भी कृषि उध्यमियों को बढ़ावा दिया जा रहा है l साथ ही उन्होने बताया कि खुले क्षेत्रों में फसल में जैविक व अजैविक तनाव दशा उत्पन्न होती है जिससे बचने के लिए ग्रीन हाउस तकनीकी उपयोगी है, बीज कृषि का जैविक अवयव है उन्होंने गुणवत्ता वाले बीजों को किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा स्रोत बताया उन्होंने बताया कि गुणवत्तायुक्त बीजों की मदद से किए उत्पादन से ही कोरोना वायरस में लगभग 140 करोड़ जनसंख्या को पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता हो पाई परंतु आज भी किसान स्वयं के बचत बीजों का उपयोग करके फसल उगाते है  जिससे उत्पादकता में कमी आती है । उन्होंने बीज की कृषि में भूमिका बताते हुए कहा कि बीज कृषि का मुख्य अवयव है, साथ ही उन्होंने बताया की  बीज की गुणवत्ता के अवयव भौतिक व जैविक शुद्धता, अंकुरण क्षमता व नमी की मात्रा है।
डॉ बी एस तोमर, एचओडी, डिपार्टमेंट ऑफ वेजिटेबल साइंस, आईएआरआई, नई दिल्ली ने बताया कि भारत की जनसंख्या बढ़ती जा रही है जबकि संसाधनो की कमी होती जा रही है, बढ़ती जनसंख्या को कम करने के लिए लोगो को जागरूक करना चाहिए व सरकार को भी जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाने की अवश्यकता है, साथ ही उन्होने बताया कि कृषि की उत्पादकता कम होती जा रही है जिसका मुख्य कारण कृषि क्षेत्र के प्रति युवा पीढ़ी का रूझान कम होना है क्योंकि कृषि क्षेत्र की प्रॉफिटेबिलिटी कम होता जा रही है जिसको कम करने के लिए सरकार को उचित योजनाएं बनाने की अवश्यकता है l सरकार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में रैंक सुधारने की जरूरत है तभी भारत विकसित राष्ट्र बन पाएगा, उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन भी कृषि के लिए समस्या बनता जा रहा है, विद्यार्थियो से संवाद करते हुए उन्होने छात्रो को अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रेरित किया व साथ ही भोजन के अपव्य को कम करने की सलाह दी l
डॉ बी एस तोमर ने बताया हर साल 1% कृषि भूमि का उपयोग कंस्ट्रक्शन गतिविधियों के लिए किया जा रहा है l
इसके साथ ही उन्होने बताया कि अमृत काल के अंत तक बागवानी फसलों का उत्पादन 600 मिलियन टन करना है l
उत्पादकता बढ़ाने के लिए हाइब्रिड वैराइटीज, स्वस्थ सीडलिंग, गुणवत्ता युक्त बीज, रेज्ड बेड टेक्नीक , ड्रीप इरिगेशन, ट्रेलिंग आदि विधियों प्रभावी हो सकती है l
डॉ एस एस सिंधु, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, फ्लोरीकल्चर, आईएआरआई, नई दिल्ली ने रेड्डी प्रोग्राम के दौरान आयोजित की गई गतिविधियों की प्रशंसा की व छात्रो को उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए बधाई प्रेषित की, साथ ही उन्होने कहा कि जोबनेर महाविद्यालय के रेड्डी कार्यक्रम को अन्य कालेजों द्वारा भी अपनाने की आवश्यकता है l उन्होंने बताया है कि कृषि है तो अपनी खाद्य सुरक्षा है व बागवानी है तो देश की समृद्धि है l साथ ही उन्होने बताया कि प्रायोगिक दक्षता जन्म से नहीं आती बल्कि निरंतर अभ्यास से आती है l
कार्यक्रम के अंत में अधिष्ठाता एवं संकाय अध्यक्ष डॉ एम आर चौधरी ने बताया की महाविद्यालय का उद्देश्य प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियो मे प्रायोगिक ज्ञान विकसित करना है, डॉ एम आर चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।
सह आयोजक डॉ ओ पी गढ़वाल व डॉ एस पी सिंह ने बताया कि प्रायोगिक प्रशिक्षण विद्यार्थियो को भविष्य में स्वयं का व्यवसाय शुरू करने में मदद करेगा व महाविद्यालय लगातार एसे प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए प्रयासरत है l
कार्यक्रम के अंत में आयोजक सचिव डॉ बी एस बधाला ने बताया कि कार्यक्रम में ऑनलाइन ऑफलाइन मोड से श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय ,जोबनेर , कृषि महाविद्यालय, भरतपुर, कृषि महाविद्यालय, फ़तेहपुर, कृषि महाविद्यालय, नवगांव, अलवर, कृषि महाविद्यालय, बसेड़ी, धौलपुर, कृषि महाविद्यालय, कोटपूतली,
कृषि महाविद्यालय, किशनगढ़बास, अलवर, कृषि महाविद्यालय भुसावर , भरतपुर , कृषि महाविद्यालय, झिलाय (निवाई), टोंक, कृषि महाविद्यालय, प्रीथमपुरी, सीकर, डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, जोबनेर
बागवानी महाविद्यालय, दुर्गापुरा, जयपुर से लगभग 1652 विद्यार्थियों ने भाग लिया मंच का संचालन अंतिम वर्ष की छात्रा ज्योति सोनी व रक्षिता ने किया ।
कार्यक्रम के सह आयोजक डॉ राजेश सिंह व डॉ पुष्पा उज्जैनिया ने बताया की कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रो को प्रायोगिक शिक्षा देकर स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए उचित दक्षता विकसित करना है l

18
1940 views